➤ हिमाचल सरकार ने वेतन निर्धारण की अधिसूचना 2022 को किया रद्द
➤ 89 श्रेणियों के हजारों कर्मचारियों का वेतन नए सिरे से तय होगा
➤ कर्मचारी संगठन सीएम से मुलाकात कर करेगा विरोध दर्ज
हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के हजारों कर्मचारियों के वेतन से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है। वित्त विभाग ने वर्ष 2022 की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसमें दो साल बाद कर्मचारियों को हायर पे ग्रेड देने का प्रावधान था। अब इन कर्मचारियों का वेतन निर्धारण नए सिरे से किया जाएगा। इस फैसले से लगभग 89 श्रेणियों के कर्मचारी प्रभावित होंगे।
गौरतलब है कि 2022 की अधिसूचना लागू होने के बाद कई कर्मचारियों का वेतन 10 से 15 हजार रुपये तक बढ़ गया था, लेकिन अब उतना ही कम हो सकता है। हालांकि, वित्त विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि पहले से मिली बढ़ोतरी की रिकवरी नहीं की जाएगी। यानी कर्मचारियों से अतिरिक्त मिली सैलरी वापस नहीं ली जाएगी।
प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार ने इस संबंध में हिमाचल प्रदेश सिविल सेवाएं संशोधित वेतन द्वितीय संशोधन नियम 2025 की अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार, नियम 7(क) को तीन जनवरी 2022 से ही समाप्त मान लिया जाएगा, मानो यह प्रावधान कभी लागू ही नहीं हुआ था।
कौन-कौन प्रभावित होंगे?
इस निर्णय का असर क्लर्क, कनिष्ठ कार्यालय सहायक (आईटी), कनिष्ठ तकनीशियन, ड्राफ्ट्समैन, चालक, चौकीदार, सफाई कर्मचारी, माली, फोरमैन, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, स्टेनो टाइपिस्ट, कनिष्ठ लेखा परीक्षक, शिक्षक वर्ग (जेबीटी, भाषा शिक्षक, व्याख्याता/पीजीटी, पीईटी, शास्त्री आदि), स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट, तकनीशियन, वन रक्षक, निरीक्षक, प्रयोगशाला सहायक और अन्य कई श्रेणियों पर होगा।
कर्मचारियों में नाराजगी
अधिसूचना जारी होते ही हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संगठन ने आपात बैठक की। अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा कि विभागों को आदेश दिए गए हैं कि इन कर्मचारियों का दोबारा वेतन निर्धारित किया जाए। इससे कर्मचारियों को हर माह 10 से 15 हजार रुपये का नुकसान होगा। संगठन ने निर्णय लिया है कि 8 सितंबर को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और प्रधान सचिव वित्त से मुलाकात कर अधिसूचना वापस लेने की मांग की जाएगी।
पुनर्नियुक्ति नीति में भी बदलाव
सरकार ने यह भी आदेश जारी किए हैं कि प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को अब एक साल से अधिक पुनर्नियुक्ति नहीं मिलेगी। केवल विशेषज्ञ परामर्शकों के मामलों में ही यह प्रावधान रहेगा। साथ ही, दोबारा नियुक्त कर्मचारियों को मेडिकल सुविधाएं या सरकारी आवास नहीं दिए जाएंगे। इस आदेश से कई पुनर्नियुक्त कर्मचारियों की सेवाएं एक साल पूरा होने पर स्वतः समाप्त हो जाएंगी।
कुल मिलाकर, सरकार का यह कदम जहां वित्तीय अनुशासन की ओर बढ़ता प्रतीत हो रहा है, वहीं इससे प्रभावित कर्मचारियों में गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है। अब सबकी नजरें मुख्यमंत्री और कर्मचारी संगठनों के बीच होने वाली वार्ता पर टिकी हैं।



